29 नवंबर को है किस्मत चमकाने वाले दिन, जरूर करें ये खास उपाय
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हिन्दी पंचांग के अनुसार अभी मार्गशीर्ष मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। 29 नवंबर को कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
शास्त्रों में इस एकादशी का काफी अधिक महत्व बताया गया है। जो भी लोग इस दिन कुछ विशेष उपाय कर लेते हैं उन्हें भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो जाती है।
शास्त्रों में इस एकादशी का काफी अधिक महत्व बताया गया है। जो भी लोग इस दिन कुछ विशेष उपाय कर लेते हैं उन्हें भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त हो जाती है।
29 नवंबर से पूर्व 28 नवंबर को की शाम से ही कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किसी भी प्रकार के अधार्मिक कर्मों से दूर रहकर यहां दिए गए उपाय करें।
29 नवंबर को सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर व्रत करने का संकल्प लें।
एकादशी का व्रत करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। एकादशी के व्रत करने से मोटापा भी दूर रहता है।
शुक्रवार के दिन भगवान विष्णु का विशेष पूजन करें और रात में किसी पवित्र नदी में दीपदान करें। यदि आप नदी किनारे जाने में असमर्थ हैं तो घर में तुलसी के पास दीप जलाएं।
एकादशी के अगले दिन सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर सूर्य को जल अर्पित करें। किसी जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं या दान दें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें। इस प्रकार एकादशी का व्रत पूर्ण होता है।
आगे जानिए इस एकादशी से जुड़ी कुछ और खास बातें...
- इस दिन लक्ष्मी-विष्णु के बाद प्रमुख द्वार पर लक्ष्मी के गृहप्रवेश करते हुए चरण स्थापित करें।
- श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र को सिद्ध कराकर पूजा स्थान पर या तिजोरी में रखा जाता है।
- इस दिन आंकड़े के गणेश की पूजा व स्थापना से सम्पन्नता का आशीष मिलता है।
- लक्ष्मी पूजन में एकाक्षी नारियल या समुद्री नारियल की पूजा करने एवं तिजोरी में इसे रखने से घाटा नहीं होगा एवं समृद्धि आएगी।
- एकादशी की रात्रि में रामरक्षा स्तोत्र का पाठ व अनुष्ठान करने से सफलता एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी की कथा इस प्रकार है, इस कथा को पढऩे से भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है...
प्राचीन काल में मुर नाम का एक असुर था, जो कि बहुत क्रूर और शक्तिशाली था। इस असुर से देवराज इंद्र को युद्ध में हराकर स्वर्ग पर आधिपत्य कर लिया था। जब इंद्र किसी भी प्रकार से असुर मुर से स्वर्ग पुन: प्राप्त नहीं कर सके तब वे भगवान विष्णु के समक्ष पहुंच गए।
श्रीहरि ने इंद्र और सभी देवताओं की समस्या का निदान करने के लिए असुर से भयंकर युद्ध किया, लेकिन लंबे समय तक युद्ध में कोई पराजित नहीं हुआ। जब भगवान विष्णु युद्ध से थक गए तब वे किसी गुफा में विश्राम हेतु चले गए। पीछे-पीछे असुर भी श्रीविष्णु को मारने के लिए चला गया। उस समय गुफा में सुंदर कन्या प्रकट हुई और उसने असुर का संहार कर दिया।
जब भगवान विष्णु जागे तब उन्होंने देखा कि वहां एक सुंदर कन्या खड़ी थी और असुर का शव पड़ा था। तब कन्या ने श्रीहरि को बताया कि वह उनके ही शरीर से उत्पन्न हुई है और उसी ने इस असुर का संहार किया है। यह सुनकर भगवान अति प्रसन्न हुए और उन्होंने कन्या का नाम उत्पन्ना एकादशी रखा, क्योंकि उस दिन एकादशी ही थी। इसके साथ भगवान ने कन्या को वरदान दिया कि अब से उत्पन्ना एकादशी का व्रत जो भी व्यक्ति करेगा उसे सभी इच्छित फल प्राप्त होंगे।
- रात्रि में लक्ष्मी पूजन करें और उस समय कमल के पुष्प अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से लक्ष्मी मंत्र ऊँ महालक्ष्मयै नम: का जप करें। इससे देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे में जल लें और उसमें लाल मिर्ची के बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। इस उपाय से आपको मनचाहे स्थान पर प्रमोशन और ट्रांसफर मिलेगा। यह उपाय नियमित रूप से करना चाहिए।
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