कल रात बोलें ये 29 सबसे चमत्कारी लक्ष्मी मंत्र, बन जाएंगे धनकुबेर

दीपावली का पर्व मां लक्ष्मी की कृपा से श्री, समृद्धि और ऐश्वर्य पाने की मंगलकारी घड़ी मानी गई है। इस पांच दिवसीय उत्सव में विशेष तौर पर दरिद्रता व आलस्य रूपी अलक्ष्मी से छुटकारा पाकर सुख व धन संपन्नता रूपी लक्ष्मी को दीप ज्योति या दीपदान द्वारा प्रसन्न किया जाता है।
मां लक्ष्मी की ऐसी ही अपार कृपा के लिये शास्त्रों में विशेष रूप से श्रीसूक्त का पाठ बहुत ही शुभ या यूं कहें कि चमत्कारी माना गया है। क्योंकि यह हर तरह से श्री संपन्न कर देता है। साथ ही लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की प्रसन्नता से शांति भी प्रदान करता है। जानिए चमत्कारी श्रीसूक्त पाठ व लक्ष्मी पूजा की सरल विधि -

श्रीसूक्त पाठ के लिए धनतेरस से लेकर भाईदूज तक शाम के वक्त मां लक्ष्मी की चांदी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। (संभव न हो तो तस्वीर की पूजा भी की जा सकती है) 
- स्नान के एक चौकी पर लाल वस्त्र रख मूर्ति स्थापित करें। देवी को लाल चंदन, लाल फूल व वस्त्र के साथ लाल फल या दूध की मिठाई का भोग लगाएं।
- गाय के घी का दीप व धूप लगाकर देवी के नीचे लिखे श्रीसूक्त पाठ को श्री, वैभव व ऐश्वर्य की कामना से बोलें। जानकारी न होने पर किसी योग्य ब्राह्मण से पाठ कराना उचित होगा

हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावह ।1।
तांम आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।2।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।3।
कांसोस्मि तां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ।4।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्। तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे।5।
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः। तस्य फलानि तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः
।6।
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेस्मिन्कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।7।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुदमे गृहात् ।8।
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ।9।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।10।
कर्दमेन प्रजाभूतामयि सम्भवकर्दम। श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।11।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीतवसमे गृहे। निचदेवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।12।
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्। सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।13।
आर्द्रां यःकरिणीं यष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ।14।
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावोदास्योश्वान्विन्देयं पुरुषानहम् ।15।
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ।16।
पद्मानने पद्मविद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलोयताक्षि। विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सं नि धत्स्व।17।
पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे। तन्मेभजसि पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ।18।
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे।19।
पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्। प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे ।20।
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः। धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते ।21।
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा। सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः ।22।
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मतिः। भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत् ।23।
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे। भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।24।
विष्णुपत्नीं क्षमादेवीं माधवीं माधवप्रियाम्। लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ।25।
महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।26।
आनन्द: कर्दम: श्रीदश्चिक्लीत इति विश्रुता:। ऋषय: श्रिय: पुत्राश्च श्रीर्देवीर्देवता मता:।27।
ऋणरोगादिदारिद्रयपापक्षुदपमृत्यव:। भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।28।
श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते। धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ।29।
- श्रीसूक्त पाठ के बाद देवी लक्ष्मी की आरती कर घर के कोने-कोने में घुमाएं। प्रसाद बांटकर मस्तक पर लाल चंदन का तिलक लगा खुशहाली की कामना करें।

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