वास्तव में धर्म क्या है

आज कल हम सब धर्म के बारे में सुन रहे देख रहे हैं लोगों को मानसिक तनाओ हो रहा है धर्म को लेकर धर्म के ढेकेदार काफी बोल रहे वो जरा ये बताएं की वास्तव में धर्म क्या है इसकी परिभाषा क्या है 

धर्म का वास्तविक अर्थ कर्त्तव्य है
कर्तव्य धर्म का ही पूरक है आइए जाने कैसे 

धर्म को कर्त्तव्य और कर्त्तव्य को धर्म का पूरक तो भगवान श्री कृष्णा ने कहा है 
उन्होंने अर्जुन को बोला था की है अर्जुन धनुष उठा और युद्ध कर वीरों का धर्म है युद्ध भूमि में योद्धा को युद्ध करना ही उसका कर्त्तव्य है जो अपने कर्त्तव्य को पूरा नहीं करते वो अपना धर्म भी नहीं निभाते 
भगवन ने कहा है की हर इंसान का देश काल और परिस्थिति के अनुसार अपना  अपना धर्म होता है 
इसका मतलब यह है की हर इंसान को कर्म करते हुए अपना कर्त्तव्य पूरा करते हुए धर्म का पालन करना होता है 
धर्म का मतलब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई नहीं होता 
धर्म का वास्तविक अर्थ कर्म अनुसार अपने कर्तव्यों को पूरा करते हुए धर्म का पालन करना 

धर्म पालन का सबसे बड़ा उदाहरण माँ है
क्योंकि माँ को कितनी तकलीफ होती है फिर भी वो शिशु को गर्भ में पालती है शिशु के जन्म लेते ही वो सारे दर्द भूल जाती है वल्कि शिशु तो पिता का भी है क्या पिता को दर्द महसूस होता है क्या अपने शरीर की ताकत को कम करते हुए बच्चे का पालंपोसन करना पड़ता है जबकि  माँ के दुआरा ही बच्चे को पोषण मिलता बच्चे को सूखे में सुलाती खुद को चाहे गीले में सोना पड़े माँ कभी भी यह सोचकर बच्चे को पालती की वो मेरे लिए कुछ करे क्योंकि माँ बच्चे को पालकर अपना कर्तव्य निभाती है यही उसका धर्म है 

भगवान गॉड खुदा गुरु को जब खुशी होगी जब मानव अपनी अच्छाईओं से मानब जाती को ऊँचा उड़ाएं  सब प्यार मोहबत से रहें मजबूत लोग कमज़ोरों की मदद करें उन्हें समाज में बरावर का दर्जा दिलाएं 


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